प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... मुंशीजी ने ऐसे अनुरक्त भाव से यह यश गान किया कि प्रेमशंकर गद्गद हो गये। वह दयाशंकर को लोभी, कुटिल, स्वार्थी समझते थे कि जिसके अत्याचारों के इलाके में हाहाकार ...

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